किसी भी राष्ट्र की पहचान उस राष्ट्र के व्यक्ति से होती है। व्यक्ति की पहचान उसका व्यक्तित्व है। व्यक्तित्व के विकास में ही सभ्यता एवं संस्कृति का विकास निहित होता है। शिक्षा का उद्देश्य बालक के सर्वांगीण विकास से देश को समृद्धि प्रदान करना है। सिन्दरी के हृदय स्थल में विराजमान 1984 का लघु पाठशाला आज बारहवीं कक्षा तक छात्र-छात्राओं को शिक्षा के विभिन्न आयामो से जोड़ता हुआ उन्हें प्रतिभा विकास का अवसर प्रदान कर रहा है। स्तरीय शिक्षा के बदौलत विद्यालय ने 1991 में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) नई दिल्ली से सेकेंडरी (दसवीं) स्तर की मान्यता प्राप्त की। अभिभावकों के सहयोग से एवं आकांक्षा को देखते हुए तत्कालीन प्रबंध समिति ने 1992 में उच्चतर कक्षा बारहवीं विज्ञान संकाय से प्रारंभ करायी। 1993 में इस विद्यालय को हायर सेकेंडरी की मान्यता प्राप्त हुई। विद्यालय की लोकप्रियता को देखकर 1994 में वाणिज्य संकाय भी प्रारंभ करना पड़ा। आज इस विद्यालय में लगभग दो हजार छात्र-छात्राएँ अपने सुयोग्य आचार्य के मार्गदर्शन में उज्ज्वल भविष्य को सजाने-संवारने में लगे हुए हैं। प्रकृति के सुरम्य वातावरण में आधुनिकता को समेटे हुए यह विद्यालय स्पर्धात्मक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को प्रसारित करने में लगा हुआ है।