हमें इस प्रकार की
राष्ट्रीय शिक्षा-प्रणाली
का विकास करना है
जिससे ऐसी युवा-पीढी का
निर्माण हो सके जो हिन्दुत्वनिष्ठ
और राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत हो, शारीरिक,
प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक दृष्टि से
पूर्ण विकसित हो तथा जो जीवन की वर्तमान
चुनौतियो का सामना सफलतापूर्वक कर सके और
उसका जीवन ग्रामो, वनॊ, गिरकन्दराऒ और
झुग्गी-झोपडियॊ मॆ निवास करने वाले
दीन-दुखी: अभावग्रस्त अपने बान्धवॊ को
सामाजिक कुरीतियॊ,
शोषण और अन्याय
से मुक्त कराकर राष्ट्र जीवन
को समरस, सुसम्पन्न
और सुसस्क्त
बनाने के लिए
समर्पित
हो।