आज के दूषित वातावरण में मानवी मूल्यों का निरंतर ह्रास युवापीढ़ी के भटकाव का मुख्य कारण बन रहा है| विदेशी संस्कृति उनके मन-मस्तिष्क में एस तरह रच-बस रही है कि आज का युवा भौतिक सुख समृधि के प्रति इस तरह आसक्त हो रहा है कि नैतिकता एवं मानवीयता इनके लिए निरर्थक है| फलतः एक ओर जहाँ अक्षम माता-पिता भी अपना सबकुछ समर्पित कर अपनी संतान को उच्च पदस्थ करने में लगे हैं वहीँ संतान उच्च पद पाने के बाद अपनी माता-पिता की भावनाओं, इच्छाओं का गला घोंटकर अपने आपको आधुनिक बनाने में लीन हो रही है|
हमारी कोशिश है कि आपके पाल्य ने आसमान की जिन बुलंदियों को छूने का सपना देखा है, उसे दिलाने में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके बल्कि उसमें अपनी मिट्टी, अपने देश, अपनी संस्कृति के प्रति आत्मीय भावना भरकर आदर्श चरित्र का निर्माण भी कर सकें|
न तो कोई व्यक्ति पूर्ण है न हीं कोई संस्था परिपूर्ण है-विकास एवं विस्तार के आलोक में परिवर्तन अवश्यम्भावी है|
अस्तु! हम आपके सुझाव एवं सहयोग के अकान्क्षी हैं|